सानू शुक्ला ने कानपुर विश्वविद्यालय के एक प्रतिष्ठित महाविद्यालय "युवराज दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय" से सन २००९ में अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान विषयों में स्नातक किया है तथा कानपुर-विश्वविद्यालय से विधि-स्नातक की उपाधि सन २०१२ में ग्रहण की| वर्तमान समय में सानू शुक्ला विधि-व्यवसाय के साथ साथ समाज सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं|
सन २००६ से २००९ तक के अपने स्नातकीय समय में उन्होंने महाविद्यालय में हो रहे छात्र-छात्राओं के शोषण के खिलाफ आवाज उठायी और वो २००६ में ही छात्र राजनीति से भी जुड़े तथा महाविद्यालय प्रशासन तथा जिला प्रशासन के विभिन्न शोषणत्मक कार्यों का जोरदार विरोध किया | अपनी जुझारू छवि, प्रशासन के विरुद्ध आक्रामक रवैये एवं छात्रों के प्रति अति-सहयोगात्मक व्यवहार के कारण वो शीघ्र ही महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं के चहेते छात्र-नेता/ मित्र के रूप में उभरे | जिसके फलस्वरूप साथियों के दबाव के चलते उन्होंने छात्रसंघ चुनाव लड़ने का फैसला किया परन्तु काफी तैयारियों के वावजूद जिला प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से चुनाव कराने में असमर्थता प्रकट की और उस वर्ष चुनाव नहीं हो सके तथा दूसरे वर्ष जब चुनावों की तैयारियां अपने चरम पर थीं तब उत्तर-प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में छात्र राजनीति की हत्या करते हुए सम्पूर्ण प्रदेश में छात्र-संघों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया जिस कारण चुनाव नहीं हो सके |
उस दौरान (२००६-२००९) सानू शुक्ला ने छात्र-छात्राओं के हितों को लेकर एवं कई सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों को लेकर लगभग बीस से भी अधिक सफल-आंदोलनों को साथियों के साथ मिलकर संपन्न किया तथा महाविद्यालय प्रशासन एवं जिला प्रशासन के मनमाने पूर्ण रवैये के विरोध में तीन बार क्रमिक/ आमरण अनशन भी किये जो कईयों दिन चले और न सिर्फ छात्र-छात्राओं का समर्थन प्राप्त किया अपितु जिले की कई राजनीतिक-सामाजिक संगठनों, आम नागरिकों का समर्थन भी प्राप्त हुआ जिससे प्रशासन को छात्र हितों के समक्ष झुकना पड़ा और छात्र-संघर्षों की जीत हो सकी |
वर्तमान समय में सानू शुक्ला कानून की पढाई एवं विधि-व्यवसाय के साथ साथ निम्नलिखित दो प्रकल्पों पर भी काम कर रहे है...
१- जुलाई २०१० में उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर एक विधिक संगठन "पीपुल फॉर लीगल ऐड सोसायटी, उत्तर-प्रदेश" का गठन किया जिसके मुख्य उद्देश्य आम-जन में कानून की जागरूकता बढ़ाना, गरीबों को न्याय सर्वसुलभ हो सके इसका यथासंभव प्रयास करना, आदि है | संगठन का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण उत्तर-प्रदेश है, तथा इसका सदस्य ऐसा कोई भी व्यक्ति जो कि विधि-छात्र, विधि प्राध्यापक, अधिवक्ता या फिर सेवानिवृत्त न्यायाधीश होगा, और जो संगठन के प्रति अपनी निष्ठा लिखित रूप से व्यक्त करेगा, बन सकता है |
2- उनका दूसरा प्रकल्प जो की जुलाई २०१४ में प्रारंभ होगा, वह है एक ऐसी लॉ-फर्म का निर्माण करना कि जिसका विस्तार उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में हो | जिसका उद्देश्य जूनियर अधिवक्ताओं को उनके अध्यवसाय के लिए एक मंच प्रदान करना होगा | इस हेतु वे प्रदेश के विभिन्न जिलों से योग्य व्यक्तियों से संपर्क में है | इसकी सदस्यता के लिए सिर्फ वही उम्मीदवार पात्र होंगे जिनका अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस करने का अनुभव जुलाई २०१४ को न्यूनतम १ वर्ष एवं अधिकतम ५ वर्ष होगा | चूँकि इसका गठन जुलाई २०१४ में होना है अतः इसके बारे में विस्तृत जानकारी अभी नहीं दी जा रही है |
कोई भी इच्छुक व्यक्ति जो की उपर्युक्त दोनों प्रकल्पों में से किसी एक या फिर दोनों प्रकल्पों से जुड़ना चाहता है और वो बताई गयी शर्तों का पालन करता है तो वो यहाँ जाकर अपना सम्पूर्ण परिचय, मोबाईल नं० के साथ प्रेषित करें, हमारी टीम आपसे जल्द ही सम्पर्क करेगी |
सन २००६ से २००९ तक के अपने स्नातकीय समय में उन्होंने महाविद्यालय में हो रहे छात्र-छात्राओं के शोषण के खिलाफ आवाज उठायी और वो २००६ में ही छात्र राजनीति से भी जुड़े तथा महाविद्यालय प्रशासन तथा जिला प्रशासन के विभिन्न शोषणत्मक कार्यों का जोरदार विरोध किया | अपनी जुझारू छवि, प्रशासन के विरुद्ध आक्रामक रवैये एवं छात्रों के प्रति अति-सहयोगात्मक व्यवहार के कारण वो शीघ्र ही महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं के चहेते छात्र-नेता/ मित्र के रूप में उभरे | जिसके फलस्वरूप साथियों के दबाव के चलते उन्होंने छात्रसंघ चुनाव लड़ने का फैसला किया परन्तु काफी तैयारियों के वावजूद जिला प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से चुनाव कराने में असमर्थता प्रकट की और उस वर्ष चुनाव नहीं हो सके तथा दूसरे वर्ष जब चुनावों की तैयारियां अपने चरम पर थीं तब उत्तर-प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में छात्र राजनीति की हत्या करते हुए सम्पूर्ण प्रदेश में छात्र-संघों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया जिस कारण चुनाव नहीं हो सके |
उस दौरान (२००६-२००९) सानू शुक्ला ने छात्र-छात्राओं के हितों को लेकर एवं कई सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों को लेकर लगभग बीस से भी अधिक सफल-आंदोलनों को साथियों के साथ मिलकर संपन्न किया तथा महाविद्यालय प्रशासन एवं जिला प्रशासन के मनमाने पूर्ण रवैये के विरोध में तीन बार क्रमिक/ आमरण अनशन भी किये जो कईयों दिन चले और न सिर्फ छात्र-छात्राओं का समर्थन प्राप्त किया अपितु जिले की कई राजनीतिक-सामाजिक संगठनों, आम नागरिकों का समर्थन भी प्राप्त हुआ जिससे प्रशासन को छात्र हितों के समक्ष झुकना पड़ा और छात्र-संघर्षों की जीत हो सकी |
वर्तमान समय में सानू शुक्ला कानून की पढाई एवं विधि-व्यवसाय के साथ साथ निम्नलिखित दो प्रकल्पों पर भी काम कर रहे है...
१- जुलाई २०१० में उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर एक विधिक संगठन "पीपुल फॉर लीगल ऐड सोसायटी, उत्तर-प्रदेश" का गठन किया जिसके मुख्य उद्देश्य आम-जन में कानून की जागरूकता बढ़ाना, गरीबों को न्याय सर्वसुलभ हो सके इसका यथासंभव प्रयास करना, आदि है | संगठन का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण उत्तर-प्रदेश है, तथा इसका सदस्य ऐसा कोई भी व्यक्ति जो कि विधि-छात्र, विधि प्राध्यापक, अधिवक्ता या फिर सेवानिवृत्त न्यायाधीश होगा, और जो संगठन के प्रति अपनी निष्ठा लिखित रूप से व्यक्त करेगा, बन सकता है |
2- उनका दूसरा प्रकल्प जो की जुलाई २०१४ में प्रारंभ होगा, वह है एक ऐसी लॉ-फर्म का निर्माण करना कि जिसका विस्तार उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में हो | जिसका उद्देश्य जूनियर अधिवक्ताओं को उनके अध्यवसाय के लिए एक मंच प्रदान करना होगा | इस हेतु वे प्रदेश के विभिन्न जिलों से योग्य व्यक्तियों से संपर्क में है | इसकी सदस्यता के लिए सिर्फ वही उम्मीदवार पात्र होंगे जिनका अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस करने का अनुभव जुलाई २०१४ को न्यूनतम १ वर्ष एवं अधिकतम ५ वर्ष होगा | चूँकि इसका गठन जुलाई २०१४ में होना है अतः इसके बारे में विस्तृत जानकारी अभी नहीं दी जा रही है |
कोई भी इच्छुक व्यक्ति जो की उपर्युक्त दोनों प्रकल्पों में से किसी एक या फिर दोनों प्रकल्पों से जुड़ना चाहता है और वो बताई गयी शर्तों का पालन करता है तो वो यहाँ जाकर अपना सम्पूर्ण परिचय, मोबाईल नं० के साथ प्रेषित करें, हमारी टीम आपसे जल्द ही सम्पर्क करेगी |